ऐ नारी तू कितनी महान है
खुद को कष्ट देकर भी दूसरो को खुशियाँ बाँटती है
उसी में अपने को खुश महसूस कराती है
ऐ नारी तू कितनी महान है |
तुझसे ही ये संसार सजा है
तुमने ही सींचा है अपने ममता रुपी आँचल से
तू ममता की मूरत है
ऐ नारी तू कितनी महान है ||
दुनिया को रचाने वाली है तू ,
हर घर की शान है तू
हर घर की जान है तू
तू है कितनी सहनशील
तेरी महिमा अपार है
ऐ नारी तू कितनी महान है ||
भिन्न -भिन्न रूप निभाती है तू
कभी बेटी ,कभी पत्नी तो कभी माँ बन जाती है तू
कभी प्रेयसी , कभी लक्ष्मीबाई
कभी दुर्गा , कभी सीता का रूप निभाती है तू
ये नारी तू कितनी महान है तू !!!!!
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