सोमवार, 26 सितंबर 2011

NAARI





ऐ नारी तू कितनी महान है
खुद को कष्ट देकर भी दूसरो  को  खुशियाँ बाँटती है
उसी में अपने को खुश महसूस कराती है
ऐ नारी तू कितनी महान है |
तुझसे  ही ये  संसार सजा है
तुमने ही सींचा  है अपने ममता रुपी आँचल से
तू ममता की मूरत  है
ऐ नारी तू कितनी महान है ||
दुनिया को रचाने वाली  है तू ,
हर घर की शान है तू
हर घर  की जान  है तू
तू है कितनी सहनशील
तेरी महिमा अपार है
ऐ नारी तू कितनी महान है ||
भिन्न -भिन्न रूप निभाती है तू
कभी बेटी ,कभी पत्नी तो कभी माँ बन   जाती  है  तू 
कभी  प्रेयसी  , कभी लक्ष्मीबाई  
कभी दुर्गा  , कभी  सीता का  रूप निभाती  है  तू 
ये  नारी  तू  कितनी  महान है  तू  !!!!!